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Showing posts from September, 2020

कविता - मातृशक्ति तुझे शत शत नमन - Hindi

                                                                   लौकिक माताजी आदरणीय श्री राजकुमारी देवी को समर्पित ये दिल के उदगार भावनाओं के रूप में इस कविता में प्रकट हुआ है जिन्होंने ६ मई २०२० को अपने नश्वर देह का त्याग किया । माँ ईश्वर की सर्वोत्तम प्रेमपूर्ण रचना है जो निःस्वार्थ स्नेह और पालना का प्रतीक है जिसका ऋण कभी भी चुकाया नहीं जा सकता । भले ही ये पंक्तियाँ अपनी लौकिक माताजी के संस्मरण में साकार किया गया है पर मातृशक्ति की बात करें तो यह  विश्व की सभी माताओं को समर्पित है और ख़ास कर उन  संतानों  को यह दिल से छू सकता है जो माँ की आँचल में बिताये गये उस ममतामयी अनमोल पल को स्मरण करते रहते हैं ।  !! मातृशक्ति तुझे शत शत नमन !!         ईश्वरीय स्नेह की साकार प्रतिमा हे मातृशक्ति ! तुझे शत शत नमन ।   जन्म देने में मुझको बड़ी पीड़ा सहे मांगी मन्नत, तीर्थों पर बहुत पैर घसे तप परायण कर शिव को प्रसन्न किया  स्वप्न में तब शिवबालक का दर्शन हुआ अपनी ममता और रक्त से इस देह को सींचा पोषण कर योग्य बनाया बहाके खून पसीना   निःस्वार्थ त्याग की नहीं कोई सीमा हे मा

अंतिम समय इशारे , पुरुषार्थ व सेवा - Final moment - signals, efforts & service - Brahma vani 1 & 2 Hindi & Eng

Download pdf file - Hindi :     अंतिम समय - इशारे, पुरुषार्थ व सेवा - ब्रह्मा 1 & 2 Drive link     :   Brahma vani - Hindi & Eng Website link   :   अंतिम समय - इशारे, पुरुषार्थ व सेवा  -  Final moment - signals, efforts & service Main website link      :   Godly Knowledge Treasures    Main youtube site link     :  Godly Knowledge Treasures अंतिम समय - इशारे, पुरुषार्थ व सेवा - १ ओम का गुंजार करते हुए स्वयं को एकदम आत्मा समझ बाप को याद करें और सभी को सुख, शान्ति, प्रेम आनंद का दान दो ·           बाप ये थोड़ी देखेंगा    इसको   40   वर्ष हो गया है। नहीं देखेगा। ये    दिखेगा इस बच्चे ने पुरुषार्थ के बल पे    कितना जमा किया है।    इस बच्चे ने कितनों का कल्याण किया है। इस बच्चे ने कितनों को बाप समान बनाया है।    इस बच्चे ने कितने बच्चों का मन शांत किया है।    कितना खजाना बांटा है।    कितना दानी बने हैं   ? 40  वर्ष वालों के पास क्या होगा ,  जो दान ही ना दे सके।   दान का अर्थ क्या है ?   दान का अर्थ पहले सुख ,  शांति ,   प्रेम ,  आनंद सबका दान    देवें। ये    दान सबसे बड़ा दान।