लौकिक माताजी आदरणीय श्री राजकुमारी देवी को समर्पित ये दिल के उदगार भावनाओं के रूप में इस कविता में प्रकट हुआ है जिन्होंने ६ मई २०२० को अपने नश्वर देह का त्याग किया । माँ ईश्वर की सर्वोत्तम प्रेमपूर्ण रचना है जो निःस्वार्थ स्नेह और पालना का प्रतीक है जिसका ऋण कभी भी चुकाया नहीं जा सकता । भले ही ये पंक्तियाँ अपनी लौकिक माताजी के संस्मरण में साकार किया गया है पर मातृशक्ति की बात करें तो यह विश्व की सभी माताओं को समर्पित है और ख़ास कर उन संतानों को यह दिल से छू सकता है जो माँ की आँचल में बिताये गये उस ममतामयी अनमोल पल को स्मरण करते रहते हैं । !! मातृशक्ति तुझे शत शत नमन !! ईश्वरीय स्नेह की साकार प्रतिमा हे मातृशक्ति ! तुझे शत शत नमन । जन्म देने में मुझको बड़ी पीड़ा सहे मांगी मन्नत, तीर्थों पर बहुत पैर घसे तप परायण कर शिव को प्रसन्न किया स्वप्न में तब शिवबालक का दर्शन हुआ अपनी ममता और रक्त से इस देह को सींचा पोषण कर योग्य बनाया बहाके खून पसीना निःस्वार्थ त्याग की नहीं कोई सीमा हे मा