जो स्वमान में स्थित रहते हैं उन्हें कभी हद का मान प्राप्त करने की इच्छा नहीं होती । एक स्वमान में सर्व हद की इच्छायें समा जाती है, माँगने की इच्छा नहीं रहती । स्वमान सर्व इच्छाओं को सहज ही संपन्न कर देता है । स्वमानधारी में अभिमान व अपमान की वृत्ति नहीं होगी । स्वमान में स्थित रहनी वाली आत्मा दूसरों को भी मान दे आगे बढ़ाती है । सदा अपने स्वमान में रहो तो सर्व का मान मिलता रहेगा । जिसे स्वमान का अभिमान नहीं है वही सदा निर्माण है । “ मैं परमात्मा द्वारा स्वमानधारी श्रेष्ठ आत्मा हूँ ” यह श्रेष्ठ आत्मा के स्वमान सदा स्मृति में रहे ।
Main Audio link : Swaman - Hindi
Youtube link - Hindi : १०८ शक्तिशाली स्वमान
बहुत अच्छा लग रहा है, प्रैक्टिस हो जाती है। थैंक्स
ReplyDeleteशुक्रिया बाबा
ReplyDelete