परमधाम में ॐ ओम रूप में आत्माओं का झाड़ I Om form soul tree in soul world
परमधाम में ओम रूप में आत्माओं का झाड़
परमधाम में आत्माओं का झाड़ भी ओम ( ॐ ) के आकार में है जिसको गीता में एक उलटे वृक्ष से तुलना की गयी है । अ वाला हिस्सा नीचे की ओर करने से यह उल्टा त्रिशूल जैसा दिखाई पड़ता है । सबसे से ऊपर सर्व आत्माओं के परमपिता परमात्मा शिव फिर उसके नीचे मनुष्य आत्माओं के पिता प्रजापिता ब्रह्मा और साथ में जगदम्बा सरस्वती । उसके बाद वृक्ष के तने में अथवा त्रिशूल की डंडी के पहले आधे हिस्से में सतयुग और दूसरे हिस्से में त्रेता युग की सतोप्रधान और सतोगुणी आत्मायें स्थित रहती हैं फिर अनेक धर्म की शुरुआत शाखाओं के रूप में द्वापर से शुरू होती है जहाँ से द्वैत राज्य की शुरुआत होती है । यही से राजोप्रधान आत्मायें अपने समय पर पार्ट बजाने सृष्टि रूपी रंगमंच पर उतरती हैं । पहले धर्मस्थापक अपने धर्म की बीज डालते हैं और बाद में उनके अनुयायी पीछे पीछे अनुसरण करते हैं । आत्माओं के झाड़ के अंत में कलियुग की तमोप्रधान आत्मायें स्थित हैं और सबसे अंत में दाहिने बाज़ू में संगमयुगी आत्माओं का निवास है ।
बाये तरफ चंद्राकार के रूप
में पशु -पक्षियों की आत्मायों के विभाग हैं जो द्वापर - कलियुग में आते
हैं और बिंदु के रूप में सतयुग -
त्रेतायुग में आने वाली पशु –पक्षियों की आत्माओं के विभाग हैं ।
OM FORM SOUL TREE IN SOUL WORLD
The tree of
souls in Paramdham is also in the shape of Om ( ॐ ), which has been
compared to an inverted tree in the Gita. By turning the A (अ) portion
downward, it looks like an inverted trident ( trishula ). Above all, the
Supreme Father of all souls, God Shiva, then below
him Prajapita Brahma, the father of human souls
along with Jagadamba Saraswati. Thereafter satopradhan ( intense
pure ) souls of Sat Yuga and satoguni ( slightly less
pure ) souls of Treta Yuga are situated in the
trunk of the tree or in the first half of the trunk of the trident. Then the beginning of many religions begins in the
form of branches from Dwapar from where the dvaita
(dual) kingdom begins. Thereafter the rajopradhan souls
descend on the stage of creation, playing the part at their own time. The first
religious leaders place the seeds of their religion and later their followers
follow backwards. At the end of the tree of souls are the tamopradhan souls of
the Kali Yuga and at the end on the right side is the
location of the Confluence aged souls.
On the left side
there is section of animal & bird spirits in the
form of Chandrakaara ( half curve ) who come
in Dwapar - Kaliyuga and Bindu ( point ) represents
section of animal & bird spirits coming
in Satyuga - Tretayuga.
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