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परमात्मा का अवतरण - ईश्वर कौन है ? - Hindi


      परमात्मा ( GOD OF GODS ) का अवतरण याने 
           
अजन्मा का जन्म -- Birth of Unborn
यह मानवता का इतिहास है । यह है हमारी अपनी कहानी लगभग 5000 वर्ष पहले की... वह स्वर्णिम युग था । यहाँ हर कोई प्रकृति की पूर्णता का आनंद लेता था । यहाँ तक की जानवरों में भी सद्भाव था । 

हमनें उस सुखमय दुनिया को खो दिया अपने बुरे कर्मों के कारण और फिर आरम्भ हुई ईश्वर की खोज वह ईश्वर कौन है ? Let the truth of God unfold....ईश्वर की सत्यता प्रकट हो ।
इस वैज्ञानिक अवधारणा ने कि हमारे पूर्वज बन्दर थे हमें काफी स्वार्थी और हिंसक बना दिया है मगर वास्तविकता यह है कि हम एक सर्वाधिक सभ्य व दिव्य सभ्यता के वंशज हैं हज़ारों वर्ष पूर्व जब हम अपनी चेतना के सर्वोच्च दिव्य अवस्था से नीचे उतर आये तब हमने खोज आरम्भ की उन सभी महानतम विस्मृत सत्य की

विश्व के सभी धर्म के ग्रंथो में एक सूत्र समान जरुर है कि ईश्वर एक है और वह एक दिव्य प्रकाश है और वे हम सभी के परमपिता हैं इसलिए कहते भी हैं “ हिन्द मुस्लिम सिक्ख ईसाई आपस में हम सब हैं भाई भाई ” जो स्वर्ग, हेवन, बहिश्त, जन्नत का रचयिता है व जिन्हें शिव, अल्लाह, खुदा, जेवोहा, ओंकार, वाहेगुरू इत्यादि अनंत नामों से विभिन्न धर्मों तथा पंथों में जानते तो हैं परंतु सच्चा परिचय तभी प्राप्त होता है जब वे स्वंय ही कल्प के अंत में आकर देते हैं

हिन्दू ईश्वर को एक अण्डाकार शीला के रूप में पूजते हैं जिसे शिवलिंग या ज्योतिर्लिंग कहते हैं अर्थात ज्योतिस्वरुप उनका सच्चा नाम शिव है वे  परमधाम निवासी हैं, जन्म मरण, सुख दुःख से न्यारे हैं, सर्व गुणों के सागर हैं और पतित पावन हैं  
ब्रह्मा द्वारा नयी दैवी दुनिया की स्थापना, विष्णु द्वारा दैवी दुनिया की पालना एवं शंकर द्वारा पुरानी आसुरी दुनिया के विनाश का दिव्य कर्तव्य करते हैं कलियुग अंत और सतयुग आदि के संगम पर याने कलियुग के घोर अज्ञान अन्धाकर रूपी रात्रि में उनके साधारण मानव ( प्रजापिता ब्रह्मा ) के वृद्ध तन में दिव्य अवतरण को ही भारतवासी शिवरात्रि के रूप में यादगार मनाते हैं प्रकृति सहित सभी आत्माओं को पावन बनाकर मुक्ति ( परमधाम ) और जीवनमुक्ति ( स्वर्ग ) का मार्ग बतलाते हैं, सभी आत्माओं को दुखों से छुड़ाते हैं याने सद्गति देते हैं इसलिये वे ही सभी मनुष्यमात्र के सच्चे सद्गुरु कहलाते हैं यह कार्य उनके अलावा और कोई कर नहीं सकता

Laukik or Wordly birthday of human beings we celebrate every year but the most important birthday is the birthday of God when he reincarnates at the end of the world cycle for a massive transformation of the world from hell to heaven and human beings into deities. Shivratri is the memorial of God’s birthday i.e incorporeal God Father Shiva celebrated every year by the devotees. Shiva represents God’s name and Ratri symbolizes the dark night of ignorance, falsehood, tyranny, corruption, violence etc which is seen at present. Since he transforms his soul children by eradicating evil qualities and imbibing divine qualities it also becomes the birthday of those children who recognizes and accepts him as his father and become his followers. They receive the sovereignty of heaven as the birthday gift. Now, it’s left to us which birthday we wish to celebrate.  








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