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कविता - मातृशक्ति तुझे शत शत नमन - Hindi

                                                     



लौकिक माताजी आदरणीय श्री राजकुमारी देवी को समर्पित ये दिल के उदगार भावनाओं के रूप में इस कविता में प्रकट हुआ है जिन्होंने ६ मई २०२० को अपने नश्वर देह का त्याग किया । माँ ईश्वर की सर्वोत्तम प्रेमपूर्ण रचना है जो निःस्वार्थ स्नेह और पालना का प्रतीक है जिसका ऋण कभी भी चुकाया नहीं जा सकता । भले ही ये पंक्तियाँ अपनी लौकिक माताजी के संस्मरण में साकार किया गया है पर मातृशक्ति की बात करें तो यह  विश्व की सभी माताओं को समर्पित है और ख़ास कर उन संतानों को यह दिल से छू सकता है जो माँ की आँचल में बिताये गये उस ममतामयी अनमोल पल को स्मरण करते रहते हैं । 




!! मातृशक्ति तुझे शत शत नमन !!      


ईश्वरीय स्नेह की साकार प्रतिमा

हे मातृशक्ति ! तुझे शत शत नमन ।

 

जन्म देने में मुझको बड़ी पीड़ा सहे

मांगी मन्नत, तीर्थों पर बहुत पैर घसे

तप परायण कर शिव को प्रसन्न किया 

स्वप्न में तब शिवबालक का दर्शन हुआ

अपनी ममता और रक्त से इस देह को सींचा

पोषण कर योग्य बनाया बहाके खून पसीना

 

निःस्वार्थ त्याग की नहीं कोई सीमा

हे मातृशक्ति ! तुझे शत शत नमन ।

 

तेरी अंगुली पकड़ संसार में

पहला कदम आरम्भ की

तेरी बोली सुनकर “माँ” रुप में

प्रथम वचन शुभारम्भ की

तेरी लग्न से ही हुआ लौकिक पढ़ाई संपन्न

सहयोग से तेरे अलौकिक शिक्षा हुआ ग्रहण

 

बखान कर नहीं सकता तेरी महिमा

हे मातृशक्ति ! तुझे शत शत नमन ।

खड़ा कर अपने पैरों पर मुझे

स्वावलंबी व आत्मनिर्भर बनाया

अपने सुचरित्रों के उदाहरण से

श्रेष्ठ संस्कारों का नीवं लगाया

शिक्षा और जॉब का महत्व बताकर

लौकिक क्षेत्र में बनाया सशक्त

अपने भक्ति के संस्कारों से

आध्यात्म क्षेत्र में कराया उन्नत

 

तू धरा की एक नायाब नगीना

हे मातृशक्ति ! तुझे शत शत नमन ।

 

एक कुशल प्रशाशक के रूप में

हर कार्यक्षेत्र में मार्गदर्शन करा

हिम्मत साहस का परिचय देकर

उमंग उत्साह सभी में भरा

कम खर्च में गृहस्थी को बढ़ाया

श्रेष्ठ प्रशाशन से सभी को चलाया

 

समभाव और सेवाभाव थी तेरी गरिमा

हे मातृशक्ति ! तुझे शत शत नमन ।

 

आज भी चल रहा जीवन

जैसे गाड़ी बिन ड्राइवर के

लेना पड़ता स्वयं ही निर्णय

बिन अनमोल मार्गदर्शन के

ना लेनी पड़ती इजाजत बाहर जाने पर

ना होती माता की पुकार घर आने पर

ना गूंजती डांट फटकार गलतियों पर

ना ही झलकती ख़ुशी उपलब्धियों पर

 

शिकायत - ख़ुशी ना बाँट सकने की है विडम्बना

हे मातृशक्ति ! तुझे शत शत नमन ।

 

ईश्वर की सर्वोत्तम रचना पर

नत मस्तक हो जाता है

माँ जैसी नहीं देवी जिसका

निःस्वार्थ पालन स्नेह का

ऋण चुकाया जा सकता है 

तुझे देने को तो कुछ है नहीं

पर यही है अब ईश्वर से प्रार्थना  

तेरे बताये क़दमों पर चलकर

श्रेष्ठ इंसान बनूँ और बना सकूँ यही शुभ कामना    

ईश्वरीय स्नेह की साकार प्रतिमा

हे मातृशक्ति ! तुझे शत शत नमन । शत शत नमन  ।                        From : Anil Kumar 


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