इस पोस्ट में जानिये योग के ७ विभिन्न अवस्थायें I Know in this post 7 various stages of yoga.
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योग की
विभिन्न अवस्थायें
योग की विभिन्न अवस्थायें
A) बीजरूप स्थिति/अवस्था :
मैं आत्मा हूँ । अपने को परमधाम में देखना बाबा के सम्मुख । यह न स्थूल वतन की न सूक्ष्मवतन की स्थिति है बल्कि केवल परमधाम की स्थिति जहाँ पर मैं आत्मा बीजरूप बिंदु स्वरुप में स्थित हूँ ।
B) आत्म अभिमानी स्थिति/अवस्था:
देह में रहते स्वयं को आत्मा समझना मैं आत्मा हूँ देह नहीं यह स्मृति रहना । ( आत्मा के मूल ७ गुणों अथवा स्वरूप की अनुभूति, soul conscious state ) इसमें आत्मिक स्थिति, आत्मिक दृष्टि स्वतः होती है । इसका अभ्यास तीनो स्थानों पर कर सकते हैं स्थूल वतन में, सूक्ष्म वतन में या परमधाम में ।
C) देही अभिमानी स्थिति/अवस्था :
आत्म अभिमानी और देही अभिमानी अवस्था एक ही है । देह में रहते अपने को आत्मा समझना । मैं आत्मा देह -कर्मेन्द्रियों द्वारा कर्म कर रही हूँ। मैं निमित्त, देह को आधार बनाके परमात्मा की याद में कर्म कर रही हूँ ।
D) अशरीरी स्थिति/अवस्था:
शरीर में रहकर अपने आपको एकदम हल्का feel करना । भ्रकुटी में बैठकर अनुभव करना मैं आत्मा इस शरीर से detach हूँ, एकदम अलग हूँ । मेरा शरीर फ़रिश्ते जैसा दिख रहा है और मैं आत्मा इसमें मणि के जैसे चमक रही हूँ । इस शरीर में रहते, चलते फिरते, कर्म करते अपने आप को मस्तक के बीच अनुभव करना ।
(यह है शरीर
से अलग अथवा detach होने की अवस्था, देह के सारे बंधनों से मुक्त, भान,पदार्थ, सम्बन्ध, स्मृति इन ४ विस्तार से मुक्त, स्वयं को बिना स्थूल व सूक्ष्म शरीर के परमधाम अथवा
सूक्ष्म वतन में अनुभव करना, देह व ५ ज्ञानेन्द्रियों से न्यारी-प्यारी स्थिति का अनुभव करना )
E) विदेही अवस्था :
विदेही और अशरीरी अवस्था एक ही है । जैसे बाप साकार तन का आधार लेकर कर्म करते हैं इस संकल्प से कि आत्मा करावनहार और देह करनहार अर्थात शरीर से कर्म करते हुए detach । यह शिवबाबा और ब्रह्माबाबा की अवस्था है । यह देह की temporary अवस्था है याने कर्म करते हुए detached मालिकपन की अवस्था ।
F) अव्यक्त स्थिति/ अवस्था :
यह फ़रिश्तास्वरुप की स्थिति है । अपने फ़रिश्ते स्वरुप में अपने आप को अनुभव करना । सूक्ष्म वतन में मैं
फ़रिश्ता हूँ, उड़ रहा हूँ । मैं आत्मा चारों तरफ अपना वायब्रेशंस
फैला रही हूँ । वाह ! वाह ! वाह कितना बढ़िया लग रहा है । ( व्यक्त बोल, भाव, कर्म, भान, स्मृति,सम्बन्ध – संपर्क जो भी प्रकट
(manifest) है उससे मुक्त । यह silent movie ( मूक चलचित्र ) की अवस्था । इसका अभ्यास चाहे कर्म करते हुए अथवा न करते हुए भी
कर सकते हैं । यह स्थिति है १) सूक्ष्म वतन में २) सूक्ष्म शरीर धारण करने की स्थिति जिसे angelic stage, angelic body,
astral body, causal body, subtle body, कारण शरीर, सूक्ष्म शरीर इत्यादि नामों से जानते हैं । फ़रिश्ता स्थिति इसका अभ्यास चाहे कर्म करते हुए
अथवा न करते हुए भी कर सकते हैं । जैसे चलते फिरते लाइट के कार्ब में हूँ, स्थूल शरीर है ही नहीं बस आत्मा लाइट, संकल्प लाइट, शरीर लाइट, कार्ब लाइट और वतन की सैर लाइट, मैं डबल लाइट फ़रिश्ता हूँ ।
G) कम्बाइन्ड स्थिति/ अवस्था :
मैं आत्मा और परमात्मा एक हो गए हैं । अब दो नहीं । यह योग की सबसे पावरफुल स्टेज है क्योंकि कंबाइंड हो
गये हैं बाप समान । मैं आत्मा बीज उस महाबीज के साथ कंबाइंड हूँ । इसका अभ्यास combined में सम्बन्ध रूप से कर सकते हैं जैसे कर्म करते
कम्पैनियन रूप में या छत्रछाया के रूप से कर सकते हैं ।
जब भी योग
में बैठें तब इन ७ स्थिति/अवस्थाओं का अनुभव करें ।
VARIOUS STAGES OF YOGA
A) Beejrup (seed form) stage :
I am a soul. Seeing self in front of Baba in Paramdham ( soul
world). This is neither a stage of
gross world nor subtle world but only stage of soul world where I, the soul is stabilized in point seed
form.
B) Atma abhimani (soul consciousness stage):
While being in the body, considering yourself to be
a soul, I am a
soul, not a body, having
this memory. (Experiencing 7 basic
qualities or embodiments of a soul, soul conscious state). This itself include Atmik stage, Atmik vision. This practice can be done at 3 places i.e gross world, subtle world or
soul world.
C) Dehi abhimani stage :
Atma abhimani and Dehi abhimani stage are similar. While
being in the body, considering yourself to be a soul, I soul, perform action
through body and organs. I am an instrument performing action in god’s remembrance
through the medium of body.
D) Ashariri (bodiless) stage:
Being in the body, feeling very light. Being seated
on the centre of the forehead, experiencingthat I soul, is detached from this
body, completely separate. My body is looking like an angel and my soul is
shining like a gem in it. Feeling yourselfin the center of the forehead while
being in the body, moving, doing work.
(This is a stage of
being separate and detachfrom the body, free from
bondages of these 4 extensions of the body, awareness, possessions, relation, remembrance, experiencing self in Paramdham
or Subtle world without gross and subtle body, experiencing detached and lovely stage thru body & 5 sense
organs.
E) Videhi stage :
Videhi and Ashariri (bodiless) stage are similar.
Just as father perform action through the medium of body with the thought that
soul is karavanhar ( who does through others ) and body karanhar (who does
himself) meaning detach after doing karma through the
body. This is the stage of
Shiv baba and Brahma baba. This is a
temporary stage of the body which means stage of detached master whilst doing karma.
F) Avyakt / Farishta (Angelic)stage :
This
is an angelic stage. Experiencing oneself in angelic form. I an angel is flying
in the subtle region, I am flying. I soul, is spreading my vibrations all
around. Wow! Wow ! Wow how nice it feels. (free from expressed
words, emotions, actions, awareness, relations-contacts whatever is manifested. This
is a stage of
silent movie. This can be
practiced whilst doing work or when idle. This stage is of 1) Subtle world 2) stage of acquiring subtle body which is known as angelic stage, angelic
body,astral body, causal body, subtle body etc. Angelic stage can be experienced whilst doing
work or idle. For example I am in aura of light while walking and roaming, the
physical body do not exist at all only soul light, thought light, body light, aura light
and subtle world tour light, I am
doublelight angel.
G) Combined stage :
I soul and supreme soul have united. Now no duality. This is a
powerful stage of yoga since I have become combined equal to father. I soul, the seed have united
with the great seed. This can be practiced in combined way in the form of
relation e.g. in the form of companion or canopy of protection while
doing work.
Whenever you sit in yoga
experience these 7 stages.
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