यहाँ ५ स्वरुप अभ्यास के दस की विधियाँ दर्शायी है जिसका अभ्यास कर हम स्वयं भी लाभान्वित होवें व दूसरों को भी करायें I Ten methods of 5 forms practice
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५ स्वरुप अभ्यास की दस विधियाँ
ओम शांति,
प्रिय दैवी भाईयों और बहनों,
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस व मम्मा स्मृति दिवस के सुअवसर पर इस समाप्ति वर्ष में बाबा का यह दूसरा नवीनतम प्रोजेक्ट - ५ स्वरुप अभ्यास की दस विधियाँ ब्राह्मण परिवार को तीव्र पुरुषार्थ द्वारा स्व उन्नति हेतु शेयर कर रहा हूँ । इस प्रोजेक्ट में पाँच स्वरुप अभ्यास के दस विभिन्न प्रकार की विधियाँ दर्शायी गयी है जिसका अभ्यास कर हम स्वयं भी लाभान्वित होवें और दूसरों को भी करायें,इसलिए आप को इसे अपने संपर्क में शेयर करना अत्यावश्यक है । वह १० विधियाँ इस प्रकार से है :
१) बेसिक
पाँच स्वरुप अभ्यास
२) तीन अवस्थाओं
द्वारा पाँच स्वरुप अभ्यास
३) पाँच स्वरुप
द्वारा पाँच स्वरूपों की माला को सकाश
४) सात गुणों
द्वारा पाँच स्वरुप अभ्यास
५) अष्ट शक्तियों
द्वारा पाँच स्वरुप अभ्यास
६) त्रिमूर्ति
के विभिन्न संबंधों से पाँच स्वरुप अभ्यास
७) पाँच स्वरुप
द्वारा पाँच विकारों को सकाश
८) पाँच स्वरुप
द्वारा पाँच तत्वों को सकाश
९) पाँच स्वरुप
द्वारा पाँच अवस्थाओं को सकाश
१०) पाँच स्वरुप द्वारा आदि रत्नों संग विश्व
को सकाश
जिस प्रकार से गीता के ११ वाँ अध्याय में विराट विश्व स्वरुप का साक्षात्कार श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कराया उसी तरह यह पाँच स्वरुप की दस विधियों का संकलन भी एक विराट अस्त्र शस्त्र है, पावरफुल ड्रिल है, शिवास्त्र है, परमात्म बम है,पावरफुल स्वदर्शन चक्र है जिससे रावण के दस विकार रूपी शीश को ध्वस्त कर सकेंगे । व्यर्थ संकल्प, बोल, वृत्ति, दृष्टि,कृति और विकार ( ५ नर और ५ नारी के ) इनसे १००% मुक्त हो आधा कल्प के लिए विजय प्राप्त करने में समर्थ हो जायेंगे और सतयुग की शुरुआत १-१-१ में आ जायेंगे।
पाँच स्वरुप के अभ्यास पर बापदादा ने विशेष रूप से ३०-११-१० की अव्यक्त वाणी में जिक्र किया है कि आज बापदादा मन को एकरस बनाने की एक्सरसाइज सीखा रहा है । सारे दिन में हर घंटे में कम से कम ५ सेकंड या ५ मिनट के लिए इन पाँच रूपों की एक्सरसाइज करों, जो रूप सोचो उसका मन में अनुभव करो, मन को बिजी रखो,इससे मन तंदुरुस्त तथा शक्तिशाली रहेगा । जो रूप सामने आएगा उसकी विशेषता का अनुभव होगा । व्यर्थ अयथार्थ संकल्प समाप्त हो जायेंगे । बार बार यह एक्सरसाइज करने से कार्य करते भी यह नशा रहेगा क्योंकि बाप का मन्त्र भी है मनमनाभव, मन यंत्र बन जाएगा मायाजीत बनने में । मन, बुद्धि, संस्कार आर्डर में चलेंगे , सहज ही फुलस्टॉप लगा सकेंगे, मनजीत जगतजीत बन जायेंगे,संस्कार बाप समान बन जायेंगे । फिर बापदादा ने डेट फिक्स करने को कहा कि जिसने संकल्प किया और उस अनुसार प्रैक्टिकल किया अर्थात डेट प्रमाण संपन्न किया उसकी सेरीमनी मनाएंगे । अगर लास्ट सो फ़ास्ट जाकर दिखाएँगे तो सेंटर पर आप का तीव्र पुरुषार्थ का दिन मनाएंगे,फंक्शन करेंगे ।
सौभाग्यवश जब बाबा ने यह वाणी चलाई तब इस आत्मा ने भी बापदादा के मुखारविंद से इस अनमोल महावाक्य का सम्मुख लाभ लिया और स्टेज पर बाबा से नयन मुलाकात कर वरदान भी प्राप्त किया जिसके फलस्वरूप तभी से ५ स्वरुप के अभ्यास का लाभ उठा रहा हूँ और आज उस महत्वपूर्ण वाणी पर मंथन कर सार रूपी मक्खन निकालने का न सिर्फ सुनहरा मौका मिला है बल्कि उस विशेष वाणी द्वारा हर ब्राह्मण आत्मा में उसकी स्मृति को पुनर्जागृत करने का भी अवसर प्राप्त हुआ है ।
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ईश्वरीय सेवा में,
बी.के
अनिल कुमार
in pdf )
5 forms practice using ten methods
Divine brothers & sisters,
On the good occasion of International Yoga
day and Mamma remembrance day, I am sharing baba’s another new project – 5 forms practice using ten methods to Brahmin family for self-progress through intense effort in this year of completion . In this project, ten various types of 5 forms practice method is depicted which if practiced can benefit ourselves and others.
Therefore it is very essential to be shared to those in connection. These ten methods are as
follows:
1)
Basic Five forms practice
2)
Five forms practice through three
stages
3)
Sakash to five forms rosary through
five forms
4)
Five forms practice through seven
virtues
5)
Five forms practice through eight
powers
6)
Five forms practice through various
trinity relations
7)
Sakash to five vices through five forms
8)
Sakash to five elements through five forms
9)
Sakash to five stages through five
forms
10)
Sakash to world through five forms with
Aadi ratnas
Just as in 11th
Chapter of Gita Shri Krishna gave vision of Virat Vishwa swarup (Enormous World form) to Arjuna, in a similar way the compilation of ten methods of five forms is an enormous weapon, powerful drill, Shivastra (weapon of Shiva),
God bomb, powerful swadarshan chakra through which ten vices in the form of 10 heads of Ravana can be destroyed, can get 100% rid of waste thought, speech, attitude, vision, action and vices ( 5 of male and 5 of female ) and able to gain victory over it
for half the cycle and come in 1-1-1 at the beginning of Satyuga.
Bapdada has specially
mentioned on 5 form practice in 30-11-10 Avyakt vani that today Bapdada is teaching an exercise to keep
your mind constant and
stable. Throughout day perform
this 5 forms exercise at least for 5 seconds to 5 minutes every hour, whatever forms you think about,
experience that in your mind, make your mind busy. This will make your mind
healthy and powerful. Whatever form you bring in front of you, you will experience its
specialty. Waste incorrect thoughts will vanish. Performing this exercise
repeatedly, you will become intoxicated while doing your work because the Father’s mantra is also Manmanabhav (Connect your
mind with me). Your mind will become a weapon for you to become a conqueror of Maya, mind
intellect and sanskars will follow the orders, can easily be able to put full
stop, will become conqueror of mind and world, sanskar will become equal to
Father. Then Bapdada asked to fix a date that Bapdada will have a ceremony for
those who had a thought and put it into practical form accordingly that
is who become complete according to their date. If you go fast having come last
and show everyone, then your day of intense effort will be celebrated at the
Centre. We will hold a function.
Fortunately, this soul got advantage of listening this valuable
versions of Bapdada through his mouth followed by eye meeting and receiving his blessings on stage as a resultant since
then I am earning benefits through the five forms practice and now not only I
have obtained this golden opportunity of doing version churning and extract
butter in the form of essence but also a chance to create re-awareness of that
special version amongst every brahmin soul.
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On god fatherly
service,
BK Anil Kumar
in pdf )
Five forms in different catogaries in so much detail have never come across .. to digest it and practise the same needs to go little slow so it really takes time .. amazing ... reading itself took time but i suppose hv to take one one swaroop of each catogary at a time for few days to pick up .. thanks so much .. appreciate the hardwork ..
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