Table of Contents अव्यक्त मिलन दिवस १८-०१-१९ को सवेरे बुद्धि रूपी पात्र में जो ज्ञानामृत इमर्ज हुए उसे शेयर कर रहा हूँ ताकि...
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अव्यक्त मिलन दिवस १८-०१-१९ को सवेरे बुद्धि रूपी पात्र में
जो ज्ञानामृत इमर्ज हुए उसे शेयर कर रहा हूँ ताकि आप भी इस पर विचार कर अपना
पुरुषार्थ तीव्र, अर्थपूर्ण
व सही दिशा में करें और नये वर्ष में बापदादा के आश को पूर्ण करें ।
अव्यक्त मिलन मंथन १८-०१-१९
आज सम्पूर्ण और संपन्न बनने का दिन है । बाप समान बन स्वयं को विश्व के सामने प्रत्यक्ष करने का दिन है । ब्रह्मा बाप ५० वर्षों से बच्चों के इसी सम्पूर्ण
स्वरुप को देखने के लिये अव्यक्त हुए । समाप्ति वर्ष तो २०१८ में ही पूरा हो गया । वह वर्ष
था अपने पुराने स्वभाव संस्कार, दृष्टि, वृत्ति, अतृप्त इच्छाओं, मांगने के संस्कारों को समाप्त
करने का और यह वर्ष है नये स्वभाव संस्कार, दृष्टि
वृत्ति धारण कर इच्छा मात्रम अविद्या की स्थिति में मास्टर दाता के रूप में अपने गुणों और
शक्तियों द्वारा अपनी प्रजा व भक्त आत्माओं की मनोकामनाएं पूर्ण कर उन्हें मास्टर ब्रह्मा बन मुक्ति जीवनमुक्ति देने का वर्ष । यह होगा आपके इम्तहान का वर्ष भी जब बापदादा साक्षी बन बच्चों
के कर्तव्यों को देखेंगे और मार्क्स देंगे । परीक्षाएं तो आयेंगी ही पास कराने के
लिए नहीं तो पास कैसे declare किये जाओगे । कर्मों के हिस्साब किताब, विकारों के पेपर, स्वभाव संस्कारों के पेपर, प्रकृति के पेपर, सूक्ष्म देहधारियों के पेपर ये
सब अलग अलग पेपर्स तो होंगे ही लेकिन मुख्य पेपर होगा निश्चय और स्थिति का । बाप में, पढ़ाई में, ड्रामा में कितना निश्चय है और
किसी भी विपरीत परिस्थितियों में आप किस तरह अप्रभावित होते हुए एकरस, अचल-अडोल स्थिति में कर्मयोगी
बन पार्ट बजाते हो ।
पुरानी दुनिया को अब मन, बुद्धि से पूरी तरह निकाल देना
है और नयी दैवी दुनिया में मन बुद्धि से जीना है । तुम्हारा व्यवहार भी अब दैवीगुणों
से युक्त हो, पुराने स्वभाव संस्कार को आज से विदाई । यहाँ
प्रैक्टिकल में जीने के अभ्यास में पूर्ण रीती पास हो जाओगे तो बाबा entry pass देगा और सतयुगी दुनिया को इस धरा पर लायेगा । जब आप पुरानी दुनिया से पूर्ण
रीती से सम्बन्ध तोड़ेंगे जिसे ही नष्टोमोहा अथवा बेहद का वैराग्य कहा गया
है और स्मृतिर्लब्धा याने एक बाप की एकरस स्मृति में
रहेंगे तो दूसरी तरफ प्रकृति की हलचल अथवा शिव का तांडव नृत्य शुरू हो जाएगा ।
दोनों का आपस में connection है ।
अब नयी दुनिया को लाने का और इस पुरानी दुनिया को
परिवर्तन करने की जिम्मेवारी अथवा चाबी बापदादा ने आपके हाथों में दे दी है । अब ज्ञान के विस्तार में ना जाओ, पुरुषार्थ
बोझ रहित याने हल्का हो और सेवा स्वयं को और दूसरों को संतुष्टि देने वाला हो । ओम शांति
ईश्वरीय
सेवा में ...
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Sharing you the knowledge nectar that emerged in
the vessel of intellect at morning hours of Avyakt Milan day
18-01-19 so that you also
contemplate and fasten your effort towards right direction making it meaningful
and fulfill the wishes of bapdada in the new year.
AVYAKT MILAN CHURNING 18-01-19
Today is the day for becoming complete and perfect. A day for
becoming equal to father and revealing self before the world. Father brahma has become avyakt since 50 years to see
this complete form of the children. The year of completion is already over
in 2018. That year was the year to finish old nature and sanskars, vision,
attitude, unfulfilled desires, asking habits and this year is the year to
imbibe new nature and sanskars, vision attitude and give virtues and powers to
subjects and devotees through the image of master bestower fulfilling their
wishes in ignorant to desires stage and impart Mukti and
Jeevanmukti by becoming master Brahma. This year also will be the year of exam too when
Bapdada will access your acts becoming sakshi (observer) and give marks accordingly.
Exams are bound to come to qualify otherwise how you will be declared as
Passed. Karmic account clearance, paper of vices, paper of nature and
sanskars, paper of nature, paper of subtle beings… all
these separate papers will be there but the main paper will be of Faith and
Stage.How much faith you have in Father, Study and Drama and how you play the
part of a Karmyogi remaining unaffected being in a constant, immovable,
unshakeable stage.
Now erase the old world from the mind and intellect
completely and start living in the new deity world. Divine virtues must now
reflect in your behavior and farewell to old nature and
habits from today. If you pass in practically living the deity life here
itself then Baba will issue Entry Pass and bring the deity world on this earth. When you detach yourself completely from the
relation of the old world which is referred as Nashtomoha or unlimited
disinterest and Smritirlabdha meaning to live in constant stage in the remembrance of one father then
upheavals in nature and Tandav dance of Lord Shiva will begin. Both have
connection with each other.
Now, Father has given the responsibility or key for
bringing the new world and changing the old world in your hands. Now, do not go into
the expansion of knowledge, effort must be light without burden and service
must provide satisfaction to self and others. Omshanti
On Godly Service ……
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Yes, to encourage people to do practice is very very imp. Everyone should read and do practice. I am doing, let's hope for the best
ReplyDeletethank you brother. Inspiring..Om Shanti
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