परमपिता परमात्मा शिव को समर्पित यह छोटी कविता जिसमें उन्हें मुख्य संबंधों से याद किया गया है जैसे मात पिता, दोस्त, शिक्षक व सतगुरु
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आप के समक्ष एक
छोटी कविता प्रस्तुत है जो परमपिता परमात्मा शिव को समर्पित है जिसका
शीर्षक है प्यारे बाबा मीठे बाबा इसमें शिव बाबा को मुख्य संबंधों से याद किया गया
है जैसे मात पिता, दोस्त, शिक्षक व सतगुरु जो परमात्मा संगम युग में अपने
अवतरण काल में निभाते हैं और अंत में संगम का महत्व और इस अनमोल सुहानी घड़ी के
समाप्ति पर खेद भी प्रकट किया है । आशा करता हूँ कि यह आप में भी परमात्मा प्रति अनेक
संबंधों का स्नेह रस जागृत करेगा और आप बचे हुए शेष समय को पूर्ण रूप से सफल करने
का पुरुषार्थ करेंगे ।
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प्यारे बाबा मीठे बाबा
प्यारे बाबा मीठे बाबा
स्वीकार
करें आत्मिक नमन |
मात पिता रूप से
अपना मस्तक मणि बनाया मुझे
आखों का नूर बनाके समाया मुझे
नयन पलकों पर बिठाया मुझे
दिल की गोदी में झुलाया मुझे
ज्ञान लोरी से बहलाया मुझे
मीठे बच्चे कहके के बुलाया मुझे
रूसने पर मनाया मुझे
सिवाय
आपके कौन देगा
रूहानी
पालना इतना मुझे
प्यारे
बाबा मीठे बाबा
आर्पित
तुम्हें यह आदर सुमन |
खुदा दोस्त रूप से
अपना सहयोगी बनाया मुझे
जिस्मानी सम्बन्ध जंजाल से निकाला मुझे
ज्ञान की बातों में सदा रमाया मुझे
कठिन समय में सदा साथ दिया मुझे
विकट परिस्थिति समस्याओं से उबारा मुझे
सच्चे दोस्त का प्यार दिया मुझे
सिवाय
आपके कौन देगा
सच्चा
साथ इतना मुझे
प्यारे
बाबा मीठे बाबा
आर्पित
तुम्हें यह स्नेह सुमन |
परम शिक्षक रूप से
गॉडली युनिवर्सिटी में बुलाया मुझे
आत्मा का पहला पाठ पढ़ाया मुझे
रचयिता रचना का ज्ञान सिखाया मुझे
मनुष्य से देवता बनने का लक्ष्य जताया मुझे
श्रीमत की अंगुली से सन्मार्ग पर चलाया मुझे
ज्ञान,योग दिव्य गुणों से शृंगारा मुझे
गलतियाँ होने पर भी सदा पुचकारा मुझे
सिवाय
आपके कौन देगा
सत्य
ज्ञान इतना मुझे
प्यारे
बाबा मीठे बाबा
आर्पित
तुम्हें यह मान सुमन |
परम सद्गुरु रूप से
अपना फॉलोअर बनाया मुझे
वरदानों की माला पहनाया मुझे
मुक्ति जीवन मुक्ति का मार्ग दिखाया मुझे
दुःख अशांति की दुनिया से छुड़ाया मुझे
पुराने स्वभाव संस्कारों का परिवर्तन कराया
मुझे
अज्ञान अन्धकार से निकाला मुझे
सिवाय
आपके कौन देगा
श्रेष्ठ
वरदान इतना मुझे
प्यारे
बाबा मीठे बाबा
आर्पित
तुम्हें यह श्रद्धा सुमन |
संगम के शेष कुछ पल फिर
कहाँ मिलेगा यह रूहानी बाबा
कहाँ मिलेगा यह निःस्वार्थ प्यार
कहाँ मिलेगा यह निरहंकार वाणी
कहाँ मिलेगा यह सत का संग
सर्व प्राप्तियों का नशा हो रहा मुझे
तो बिछड़ने का गम भी सता रहा मुझे
सिवाय
आपके कौन देगा
प्रेम
अश्रु इतना मुझे
प्यारे
बाबा मीठे बाबा
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