अव्यक्त मिलन मंथन ३०-११-१८ सभी ब्राह्मण बच्चे प्रश्नों के पार प्रसन्नचित अवस्था में संशय रहित होकर अव्यक्त मिलन मना रहे हैं ? या मिलन की आश अभी भी रही हुई है । साकार मिलन का पार्ट भी हुआ, साकार में अव्यक्त मिलन का पार्ट भी समाप्ति पर है और अब साथ साथ अव्यक्त में अव्यक्त मिलन का पार्ट चल रहा है । बाप बच्चों का मिलन तो चल ही रहा है केवल विधि में ही परिवर्तन हुआ है जो होना ही है ड्रामा अनुसार । बाप अपना वायदा पूरा कर रहा है और अंत तक करता रहेगा । बच्चों को दिलशिक़स्त नहीं होना है खासकर जो पुराने बच्चे हैं जो भरपूर हो चुके हैं क्योंकि आप लोगों से ही आने वाले नये बच्चों को उमंग उत्साह और मार्गदर्शन मिलना है । चाहे अमृतवेला हो, चाहे घर पर, चाहे कर्म करते समय, चाहे सेंटर पर या मधुबन में कहीं भी मिलन मनाने की खुली छूट है । यह मिलन की तारीख भी एक आधार है, मिलन का भाव जागृत करता है पर यह भी तो साकार ही हुआ ना कुछ समय के बाद इससे भी पार होने का अभ्यास चाहिए जो पहले मम्मा ने और बाद में ब्रह्मा बाप ने अव्यक्त होकर कराया । बाद में आदि रत्न दादीयों का भी उदाहरण सामने रहा । ड्रामा अपने समय स